This poem was originally written in Hindi by Papia Sen Gupta with the title 'मां-बेटी' for Yugen Quest Review. We're thankful to Smeetha Bhoumik for the translation of the poem into English.
खुद को खुद ही मे समेटे हुए अपनी गर्माहट की चादर लपेटे हुए, चली जा रही थी मै। कभी दबे पांव, कभी सरपट कभी थके हुये, कभी हर पल को जीते हुए।। तभी तुमने आकर मेरा हाथ थामा सरल मुस्कुरा के दोनो हाथो मे समेटा । मुझे माँ कहकर, तुमने पुकारा मेरी तन्हाई को तुमने संवारा।। एक नयी पहचान, एक नया नाम दिया तुमने मुझ को, मुझी से, तुमने मिलाया । सब कहते है, मै माँ हू तुम्हारी मगर मुझमे ममता तुम्ही ने जगाई।। मेरे साथ हंसना, मेरे साथ रोना, और कमी मुझको डॉटकर चुप कराना। मेरी माँ जैसी, तुम बेटी हो मेरी, मुझे पूरा बनना तुम ही ने सिखाया।।